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क्या आप बता सकते हैं कि भारत में युद्ध जैसी अनोखी दिवाली कहाँ मनायी जाती है ?

भारत त्योहारों का देश है और एक ही त्यौहार को मनाने के तरीके भी अलग अलग होते हैं आज हम आपको अनोखी दिवाली के बारे में बताने जा रहे हैं जी हाँ अनोखी दिवाली जो गुजरात के अमरेली में दिवाली की पूरी रात एक अनोखा और रोमांच से भरपूर तरीके का खेल-खेला जाता है। इसे यहां के लोगइंगोरीया का युद्ध” कहते है। हाथों से बनाये गए सुलगते ईगोरे को एक दूसरे पर खुल्लेआम फेंकते हैं और पूरे शहर में दौड़ धूप और धक्कामुक्की का माहौल बन जाता है।

यह त्योहार आज कल से नहीं बल्की पूरे 70 सालों से परम्परा चली आ रही है। तो क्या है इंगोरे का पारंपारीक खेल और कैसे लोग झुलसते फटाखों को हाथ में लेकर ईगोरे का “आग का” युद्ध खेलते है।

यहां के लोगों की मान्यता के मुताबिक़ बरसों पहले सावर और कुंडला दो अलग-अलग गांव थे। दोनों गांव के बीच से नदी नकलती थी। तब दोनों गांव के युवा अलग-अलग गुटों में बट जाते थे और रात्री के दस बजे से लेकर सुबह तक एक दूसरे के सामने सुलगते हुए इंगोरे फेंक कर दीवाली पर्व मनाया करते थे।

अब यह गांव मिलकर एक शहर बन गया। लेकिन अब भी यह युद्ध की परंपरा चली आ रही है। अभी यहां पर यह युद्ध खेला जा रहा है। यह युद्ध पूरे भारत में सिर्फ अमरेली जिले में आये हुए सावरकुंडला शहर में ही खेला जाता हे। यह ईगोरे की लड़ाई पूरे ही निर्दोषता से खेली जाती है। आकाशी रौकट की तरह ही “छननन” करके आता हुआ इंगोरा या फिर कोकड़ा का नजारा एक अद्भुत ही होता है।