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क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रकूट वंश की स्थापना किसने की थी?

दंतिदुर्ग

राष्ट्रकूट  दक्षिण भारत, मध्य भारत और उत्तरी भारत के बड़े भूभाग पर राज्य करने वाला राजवंश था। इनका शासनकाल लगभग छठी से तेरहवीं शताब्दी के मध्य था। इस काल में उन्होंने परस्पर घनिष्ठ परन्तु स्वतंत्र जातियों के रूप में राज्य किया, उनके ज्ञात प्राचीनतम शिलालेखों में सातवीं शताब्दी का ‘राष्ट्रकूट’ ताम्रपत्र मुख्य है, जिसमे उल्लिखित है की, ‘मालवा प्रान्त’ के मानपुर में उनका साम्राज्य था (जोकि आज मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है), इसी काल की अन्य ‘राष्ट्रकूट’ जातियों में ‘अचलपुर'(जो आधुनिक समय में महारास्ट्र में स्थित एलिच्पुर है), के शासक तथा ‘कन्नौज’ के शासक भी शामिल थे।

इनके मूलस्थान तथा मूल के बारे में कई भ्रांतियां प्रचलित है। एलिच्पुर में शासन करने वाले ‘राष्ट्रकूट’ ‘बादामी चालुक्यों’ के उपनिवेश के रूप में स्थापित हुए थे लेकिन ‘दान्तिदुर्ग‘ के नेतृत्व में उन्होंने चालुक्य शासक ‘कीर्तिवर्मन द्वितीय’ को वहाँ से उखाड़ फेंका तथा आधुनिक ‘कर्णाटक’ प्रान्त के ‘गुलबर्ग’ को अपना मुख्य स्थान बनाया। यह जाति बाद में ‘मान्यखेत के राष्ट्रकूटों ‘ के नाम से विख्यात हो गई |