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बड़ी खबर : असम में NRC की फाइनल लिस्ट जारी, 19 लाख लोग बाहर

NRC की जरूरत क्यों पड़ी

पिछले कई दशकों में, मांग की गई थी कि असम में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर को अपडेट किया जाए। असम में मुख्य रूप से बांग्लादेशसे सीमा पार कर लोग आए थे। इनसे स्थानीय लोगों के साथ मतभेद पैदा हो गए। इन घुसपैठियों के अनियंत्रित रूप से आने के विरोध के चलते राज्य भर में हिंसा और प्रदर्शन हुए। अधिकतर घुसपैठिए 1971 में भारत-पाक के बीज हुए युद्ध के दौरान असम क्षेत्र में दाखिल हुए थे।

ऐसे प्रवासियों या घुसपैठियो की पहचान कर इन पर रोक लगाना और इन्हें वापस भेजना असम के स्थानीय लोगों की प्रमुख मांग बन गई थी जिसेलेकर ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने 6 साल का आंदोलन भी चलाया था जो 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ समाप्त हुआ।

गृहमंत्रालय ने NRC फाइनल  लिस्ट जारी की

गृह मंत्रालय ने असम एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी कर दी है। NRC के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों का एनआरसी की फाइनल लिस्ट में जगह मिली और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया। यह लिस्ट इंटरनेट और राज्य के 2500 एनआरसी सेवा केंद्रों, 157 अंचल समेत33 जिला उपायुक्त कार्यालयों में उपलब्ध होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की वजह से कोई भी अधिकारी लिस्ट के बारे में बोल नहीं सकता।

1951 में जनगणना के बाद, इसी वर्ष पहली बार असम में नागरिकों का एक राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार किया गया था। 1951 की एनआरसी के बारे में कहा जाता है कि इसमें असम की जनगणना में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को एनआरसी सूची में शामिल किया गया था।

अपनी नागरिकता साबित करने के लिए, असम में लोगों को दस्तावेजी सबूत दिखाने होंगे कि वे या उनके पूर्वज 25 मार्च 1971 से पहले असम में पैदा हुए थे। सरकार ने कट-ऑफ की यही तारीख निर्धारित की है।

सरकार का कहना है, ” एनआरसी के अपडेट होने के बाद यह एक भारतीय नागरिक के लिए अहम कानूनी दस्तावेज बन जाएगा। लोगों को अपनी नागरिकता साबित करना एनआरसी प्रक्रिया का केवल एक हिस्सा है। इस कार्य का असल मकसद ‘अवैध’ अप्रवासियों की पहचान करना और उन्हें उनके मूल देश में वापस भेजना है।

नाम न होने पर अपील का अधिकार

हालांकि जिन लोगों का नाम इस सूची में शामिल नहीं होगा, वे 120 दिनों के भीतर फॉरेनर्स टिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। यदि फॉरेनर्स टिब्यूनल में साबित हो जाता है कि वह अवैध प्रवासी हैं तब तक उन्हेंनिर्वासन शिविरों में रखा जाएगा जब तक कि उनका निर्वासन नहीं होगा।