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पंजाबी भाषा किस लिपि में लिखी जाती है ?

गुरुमुखी

समर्पण, विनम्रता और शिक्षा जीवन को किस तरह संवारते हैं, यह द्वितीय गुरु अंगद देव जी की जीवन गाथा से सीखा जा सकता है। उन्होंने ही गुरुमुखी लिपि की रचना की थी। 5 बैशाख संवत 1561 विक्रमी अर्थात 18 अप्रैल 1504 ई. को फिरोजपुर के गांव मत्ते नांगे की सराय में जन्मे अंगद देव जी का बचपन में नाम लहिणा था।