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मिशन चंद्रयान-2: आइये जानते है इसकी खासियत और क्या है इस मिशन का मकसद

मिशन चंद्रयान-2  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) 15 जुलाई को तड़के 2:51 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से चंद्रयान-2 को लॉन्च होना था लेकिन लांच करने से पहले कुछ तकनीकी खामी के कारण इसकी लॉन्चिंग की तारीख आगे बढ़ा दी गयी है । आइये आज इस मिशन की खासियत और मकसद की बात करते हैं :-

  1. चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिग करेगा। इस जगह पर इससे पहले किसी भी देश का कोई यान नहीं पहुंचा। ज्यादातर चंद्रयानों की लैंडिंग उत्तरी गोलार्ध में या भूमध्यरेखीय क्षेत्र में हुई हैं।
  2. चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के पास लैंड करेगा। ऐसा होते ही भारत चांद की सतह पर लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यानों को चांद की सतह पर भेज चुके हैं।
  3. ISRO के GSLV Mk III रॉकेट से चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर भेजा जाएगा। इस रॉकेट को बाहुबली रॉकेट कहा जाता है।
  4. चंद्रयान का कुल वजन 3800 किलो है और इसका कुल बजट 603 करोड़ रुपये है ।
  5. चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा का अध्ययन करेगा।
  6. चंद्रयान-2 चंद्रमा के मौसम का अध्ययन करेगा।
  7. चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह में मौजूद खनिजों और रासायनिक तत्‍वों का अध्‍ययन करेगा।
  8. चंद्रयान-2 चंद्रमा के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा।–
  9. चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह से 100Km ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा
  10. चंद्रयान-2 मिशन के साथ 13 पेलोड भेजे जाएंगे। इनमें से 8 पेलोड ऑर्बिटर में, 3 लैंडर में और 2 रोवर में रहेंगे।
  • ऑर्बिटर :- इसका वजन 2379 किलो है और इस मिशन की अवधि 1 साल है।आर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। इसका काम चांद की सतह का निरीक्षण करना और खनिजों का पता लगाना है। इसके साथ 8 पेलोड भेजे जा रहे हैं, जिनके अलग-अलग काम होंगे। इसके जरिए चांद के अस्तित्व और उसके विकास का पता लगाने की कोशिश होगी। बर्फ के रूप में जमा पानी का पता लगाया जाएगा। बाहरी वातावरण को स्कैन किया जाएगा।
  • लैंडर :- इसका वजन 1471 किलो है और इस मिशन की अवधि 15 दिन है।इसरो का यह पहला मिशन है, जिसमें लैंडर जाएगा। लैंडर आर्बिटर (विक्रम) से अलग होकर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यह 2 मिनट प्रति सेकेंड की गति से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। विक्रम लैंडर के अलग हो जाने के बाद, यह एक ऐसे क्षेत्र की ओर बढ़ेगा जिसके बारे में अब तक बहुत कम खोजबीन हुई है। लैंडर चंद्रमा की झीलों को मापेगा और अन्य चीजों के अलावा लूनर क्रस्ट में खुदाई करेगा।
  • रोवर:– इसका वजन 27 किलो है और इस मिशन की अवधि 15 दिन है ।प्रज्ञान नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा। चांद की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण करेगा। रोवर के लिए पावर की कोई दिक्कत न हो, इसके लिए इसे सोलर पावर उपकरणों से भी लैस किया गया है।