fbpx

आज से केंद्र शासित प्रदेश बना लद्दाख, आरके माथुर ने पहले उपराज्यपाल के तौर पर ली शपथ

देश में आज से एक नये इतिहास का अध्याय शुरू हुआ. जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा आज खत्म हो गया है. अब जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बंट गया है. गुरुवार सुबह लद्दाख के प्रथम उपराज्यपाल रिटायर्ड अधिकारी राधाकृष्ण माथुर ने पद की शपथ ले ली है. जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने उन्हें शपथ दिलवाई.

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से IAS अफसर उमंग नरूला को लद्दाख के उपराज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है. इसके अलावा IPS अफसर एस.एस. खंडारे को लद्दाख पुलिस का प्रमुख बनाया गया है. जीसी मुर्मू भी आज ही जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल पद की शपथ लेंगे.

जीसी मुर्मू को भी जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ही शपथ दिलवाएंगी. बता दें कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बने हैं. बस अंतर इतना है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बना है और लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश है. लद्दाख की ओर से पिछले कई वर्षों से इस मांग को रखा जा रहा था.

शुरुआत में दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा लेकिन दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे. सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा.

भारत में अब एक राज्य कम होने के साथ दो नए केंद्र शासित राज्य हो गए हैं. जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का जो नया कानून बना है, वो आधी रात के बाद से प्रभाव में आ गया है। राज्य के पुर्नगठन के प्रभाव में आने की तारीख 31 अक्टूबर रखी गई थी।

कौन हैं लद्दाख के नए उपराज्यपाल?
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पहले एलजी राधा कृष्ण माथुर त्रिपुरा कैडर के 1977 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं. वह नवंबर 2018 में भारत के मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में सेवानिवृत्त हुए. 25 मई 2013 को इस पद पर नियुक्त होने के दो साल बाद माथुर भारत के रक्षा सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए.

वह भारत के रक्षा उत्पादन सचिव, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सचिव और भारत के मुख्य सचिव और त्रिपुरा के मुख्य सचिव भी की भूमिका भी निभा चुके हैं. आईआईटी कानपुर के छात्र रहे माथुर को रक्षा मामलों की गहरी समझ है. कहा जा रहा है कि उनके अनुभवों को देखते हुए ही उन्हें सामरिक तौर पर संवेदनशील नए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की कमान सौंपी गई है.