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हिंदुस्तान में तबाही मचाने का चीन का नया पैतरा ,हर साल करता है हिंदुस्तान का बड़ा नुकसान

चीन की भारत की साथ सम्बन्ध कैसे है यह हर भारतीय को पता है और चीन किसी न किसी तरीके से भारत का नुकसान करना करना चाहता है भारत के  असम प्रदेश में एक बार फिर बाढ़ का कहर जारी है. इस बाढ़ के कारण देश को हर वर्ष करोड़ों का नुकसान होता है.असम व उसके आसपास के इलाकों में बाढ़ ने फिर से भीषण तबाही मचा दी है. बताया जा रहा है कि अब तक हजारों  लोग बेघर हो चुके है. लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है. सड़कों के बह जाने से गांवों का जिला मुख्यालयों से सम्पर्क भी टूट गया है. और इस बाढ़ का मुख्य कारण चीन है .

भारी  बारिश के साथ चाइना के बांधों से छोड़े जा रहे पानी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है. चाइना हर साल यही काम करता है और इस वजह से केवल भारत ही नहीं  बल्कि बांग्लादेश को भी भारी नुकसान झेलना पड़ता है.

चीन से होकर हिंदुस्तान में आने वाली ब्रह्मपुत्र नदी में पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. हिंदुस्तान ने ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन  द्वारा बांधों के निर्माण की कड़ी निगरानी की है. विदेश मंत्रालय के द्वारा हाल ही में लोकसभा में बताया कि भारत  सरकार ने लगातार चीनी अधिकारियों को अपने चिंताओं से अवगत कराया है. फ़िलहाल दशा यह हैं कि चीन  के बांधों से  छोड़े जा रहे पानी ने हिंदुस्तान को मुसीबत में डाल दिया है.

2014  में चाइना ने ब्रह्मापुत्र नदी पर परियोजना के अंतरगर्त झंगमू बांध का निर्माण किया था. इसे 2015 में चालू किया गया. विद्युत परियोजना के तहत यह बांध प्रारम्भ किया था.चाइना इस पानी को सिंचाई के कार्य में भी लाता है.मगर हर वर्ष देखा गया है कि चाइना बाढ़ के खतरे से बचने लिए अत्याधिक पानी को हिंदुस्तानमें भेज देता है.

चीन बांध के एकत्र पानी से बिजली निकालता है व सिंचाई के लिए प्रयोग करता है.मगर जब भारी बारिश के कारण पानी का स्तर बहुत ज्यादा ऊपर हो जाता है तो चीन सारा पानी हिंदुस्तानमें छोड़ देता है.इस कारण यहां पर बाढ़ का विकराल रूप देखने को मिलता है.

गौरतलब  है कि हिंदुस्तान से समझौते के तहत चीन हर वर्ष मॉनसून में ब्रह्मपुत्र नदी के पानी की गुणवत्ता जानकारियां देता हैं. ब्रह्मपुत्र एशिया की बड़ी नदियों में से एक है जो तिब्बत से निकलते हुए हिंदुस्तान में आती है व फिर बांग्लादेश में जाने के बाद वह गंगा में मिल जाती है. इसके बाद यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है.

भारत व बांग्लादेश का चीन के साथ यह समझौता है कि वह  अपने यहां से निकल रही नदी के हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करेगी . ये आंकड़े  मॉनसून के मौसम में 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच के होंगे . यह जानकारियां असल में पानी के स्तर को लेकर होती हैं ताकि जिन राष्ट्रों में यह नदी जा रही है  वहां बाढ़ को लेकर सूचित किया जा सके. मगर चाइना इन डेटा को कभी भी ठीक समय पर सांझा नहीं करता है. वह चाहता है कि हिंदुस्तान को इस तरह के नुकसान हो ताकि उसकी आर्थिक स्थिति कभी भी मजूबत न बने.