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क्या आपने ये कभी सोचा है कि चंद्रयान 2 के सफल होने से भारत को क्या हासिल होगा

चांद पर भारत के दूसरे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा से सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV-मार्क III-M1 बाहुबली के जरिए लॉन्च कर दिया गया है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग पर पूरी दुनिया की नजरें थी और पूरे विश्व में इसरो के वैज्ञानिकों की सफलता के गुण गान हो रहा है .इस मिशन में एक हफ़्ते की देरी GSLV-Mk III रॉकेट के इंजन में लीक होने के कारण हुई थी. अब यही रॉकेट चंद्रयान को अतरिक्ष में लेकर जाएगा.

चंद्रयान की यात्रा के साथ ही यह भारत की अन्तरिक्ष में बढ़ती हुई महत्वाकांक्षा को भी चाँद के पार ले जाएगा .चाँद पर जाने का  यह मिशन भारत का दूसरा मिशन है भारत ने अपोलो 11 के चाँद मिशन की 50वीं वर्षगांठ होने पर यह मिशन किया है .

भारत का चंद्रयान-2 चाँद के अपरिचित दक्षिणी ध्रुव पर सितंबर के पहले हफ़्ते में लैंड करेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि चाँद का यह इलाक़ा काफ़ी जटिल है. वैज्ञानिकों के अनुसार यहां पानी और जीवाश्म मिल सकते हैं. चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर कोई अंतरिक्ष यान पहली बार उतरेगा. इस मिशन में लैंडर का नाम विक्रम दिया गया है और रोवर का नाम प्रज्ञान है. विक्रम भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के पहले प्रमुख के नाम पर रखा गया है. लैंडर वो है जिसके ज़रिए चंद्रयान पहुंचेगा और और रोवर का मतलब उस वाहन से है जो चाँद पर पहुंचने के बाद वहां की चीज़ों को समझेगा. मतलब लैंडर रोवर को लेकर पहुंचेगा.

इसरो के वैज्ञानिकों  का कहना है कि अगर यह मिशन सफल होता है तो चंद्रमा के बारे में पूरे विश्व की समझ बढ़ेगी और यह भारत के साथ-साथ पूरी मानवता के हक़ में होगा.इसरो प्रमुख के. सिवन का कहना है  कि विक्रम के लिए लैंड करते वक़्त 15 मिनट का वो वक़्त काफ़ी जटिल है और इतने जटिल मिशन को कभी अंजाम तक इसरो ने नहीं पहुंचाया है. भारत ने इससे पहले चंद्रयान-1 2008 में लॉन्च किया था. यह भी चाँद पर पानी की खोज में निकला था.

इस मिशन की सफलता का बाद  2022 तक भारत चाँद पर किसी अंतरिक्ष यात्री को भेजने की योजना पर काम कर रहा है. विश्व के वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में अब  फ़ैसले लेने की छमता आ गयी है और इसकी सफलता के बाद वो अंतरिक्ष में एक बड़ी शक्ति के तौर पर उभरेगा. और भारत को अब यह अहसास हो गया है कि अंतरिक्ष में कई कार्यक्रमों को अब बढ़ाने का वक़्त आ गया है.

चंद्रयान-2 भारत की चाँद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश है. इससे पहले यह काम रूस, अमरीका और चीन कर चुका है. चार टन के इस अंतरिक्षयान में एक लूनर ऑर्बिटर है. इसके साथ ही एक लैंडर और एक रोवर है.

चाँद को लेकर दुनिया भर में खोज जारी है. चंद्रयान-1 जब 2008 में लॉन्च किया गया था तो उसने इस बात की पुष्टि की थी कि चाँद पर पानी है लेकिन चाँद की सतह पर नहीं उतर पाया था. चंद्रयान-2  की चाँद की सतह पर उतरने की पूरी तैयारी है और पिछली बार की अधूरी खोज को इस बार पूरा करने की योजना है .इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि , ”हम वहां की चट्टानों को देख कर उनमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे खनिज तत्वों को खोजने का प्रयास करेगें. इसके साथ ही वहां पानी होने के संकेतो की भी तलाश करेगें और चांद की बाहरी परत की भी जांच करेंगे.”

चंद्रयान-2 के हिस्से ऑर्बिटर और लैंडर पृथ्वी से सीधे संपर्क करेंगे लेकिन रोवर सीधे संवाद नहीं कर पाएगा. ये 10 साल में चांद पर जाने वाला भारत का दूसरा मिशन है.चंद्रयान-1 आठ नवंबर 2008 को चंद्रमा पर पहुंच गया था.चंद्रमा पर जाने वाला भारत का पहला मिशन था. ये मिशन अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009 तक था. ये इस चंद्रयान ने चंद्रमा की कक्षा में 312 दिन बिताए थे. तत्कालीन इसरो के चेयरमैन जी माधवन नायर ने चंद्रयान मिशन पर संतोष जताया था. उन्होंने बताया था कि चंद्रयान को चंद्रमा के कक्ष में जाना था, कुछ मशीनरी स्थापित करनी थी. भारत का झंडा लगाना था और आंकड़े भेजने थे और चंद्रयान ने इसमें से सारे काम लगभग पूरे कर लिए थे .

चंद्रयान 1 की खोजों को आगे बढ़ाने के लिए चंद्रयान-2 को भेजा जा रहा है. चंद्रयान-1 के खोजे गए पानी के अणुओं के साक्ष्यों के बाद आगे चांद की सतह पर, सतह के नीचे और बाहरी वातावरण में पानी के अणुओं के वितरण की सीमा का अध्ययन करने की ज़रूरत है.