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विश्व चैंपियन बन पी वी सिंधू ने रचा इतिहास, प्रत्येक भारतवासी को उन पर गर्व है

बैडमिंटन के खेल में पी वी सिन्धु एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है | रविवार को बासेल (स्विट्जरलैंड) में पीवी सिंधू ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में महिला एकल का स्वर्ण पदक जीतकर को भारतीय खेलों में नया इतिहास रच दिया | जापान की अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी नोजोमी ओकुहारा को एकतरफा मुकाबले में हराकर स्वर्ण पदक जीतने वाली सिंधू यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय बनी। ओलंपिक रजत पदक विजेता सिंधू ने 38 मिनट तक चले फाइनल में 21-7, 21-7 से जीत दर्ज की।

सिंधू ने इसके साथ ही दो साल पहले इस टूर्नामेंट के फाइनल में ओकुहारा से मिली हार का बदला भी ले लिया। ओकुहारा ने 2017 में उन्हें 110 मिनट तक चले फाइनल में हराया था। इस मैच को बैडमिंटन इतिहास के सबसे रोमांचक मुकाबलों में से एक जाना जाता है। सिंधू ने मैच के बाद कहा, ” पिछली बार मैं फाइनल में हार गयी थी, उससे पहले वाले फाइनल में भी हार गयी थी ऐसे में इस बार जीत दर्ज करना मेरे लिए काफी जरूरी था।मैं हौसलाफजाई के लिए यहां के दर्शकों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी। मैंने इसे अपने देश के लिए खिताब जीता है और मुझे भारतीय होने पर गर्व है।” उन्होने कहा, ” मेरे कोच गोपी सर और किम के साथ सहयोगी सदस्यों का आभार। मैं इस जीत को अपनी मां के नाम करूंगी, आज उनका जन्मदिन है।”

विश्व चैम्पियनशिप में सिंधू का यह पांचवां पदक है। पदकों की संख्या के मामले में सिंधू ने चीन की पूर्व ओलंपिक चैम्पियन झांग निंग की रिकार्ड की बराबरी की। पिछले साल (2018) राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली सिंधू इस मुकाबले में अलग रंग में दिखी। खेल के हर विभाग में जापानी खिलाड़ी के खिलाफ उनका दबदबा देखने लायक था।

सिन्धु के विश्व चैंपियन बनने पर पूरे देश में ख़ुशी की लहर है | राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने उनकी इस जीत पर उन्हें शुभकामना सन्देश भी दिया है | पी वी सिन्धु आज के समाज में एक उदाहरण के तौर पर स्थापित हो चुकि है और सभी खिलाडियों के लिए प्रेरणास्रोत है |हम सभी भारतवासियों को उन पर गर्व है |