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ZEE को बेचने जा रहे हैं सुभाष चंद्रा, उनके पास रह जाएगी बस इतनी हिस्सेदारी

जी ग्रुप की हिस्सेदारी बेचने को लेकर चल रही अफवाहों पर आखिर विराम लग गया है. क्यों कि अब ये अफवाह नहीं खबर सही साबित होने वाली है. खबर है कि जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEE) के प्रमोटर्स लेंडर्स का उधारी चुकाने के लिए देश की सबसे बड़ी लिस्टेड मीडिया कंपनी में 16.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की संभावना ढूंढ़ रहे हैं। कंपनी के प्रमोटरों का जितना शेयर बिकना तय हुआ है, उनमें से 15.72 फीसदी तक शेयर गुरुवार को ब्लॉक डील में बिकेगा। कंपनी ने कहा कि अगले दौर की सेल के बाद ZEE में प्रमोटरों का हिस्सा केवल 5 फीसदी रह जाएगा और इसका करीब 1.1 फीसदी भाग गिरवी रहेगा.

टर्म शीट के अनुसार तीन प्रमोटर कंपनियां- EMVL, Cyquator और एस्सेल कॉरपोरेट क्रमश: 7.7 करोड़, 6.1 करोड़ और 1.1 करोड़ शेयर बेचेंगी, जो कंपनी के टोटल 15.72 फीसदी इक्विटी बेस के बराबर है। ZEE के शेयर 277 रुपए की दर से सेल किए जाएंगे, जो बुधवार को कंपनी के 307 रुपए के क्लोजिंग प्राइस से 10 फीसदी कम है। फ्लोर प्राइस के हिसाब से ZEE के 15.72 फीसदी की वैल्यू 58.2 करोड़ डॉलर (करीब 4,132 करोड़ रुपए) होती है। गुरुवार के प्रस्तावित ब्लॉक डील्स की बुक रनर सिटी समूह है।

स्टॉक एक्सचेंजों को अलग से दी सूचना में ZEE के प्रमोटरों ने कहा कि उन्होंने जो 16.5 फीसदी तक की इक्विटी बेचने की प्लानिंग की है, उसमें से करीब 2.3 फीसदी स्टेक इन्वेस्को ओपनहाइमर डिवेलपलिंग मार्केट्स फंड की सब्सिडियरी OFI ग्लोबल चाइना फंड को बेचा जाएगा। इस मीडिया कंपनी में OFI ग्लोबल चाइना का पहले से ही स्टेक है। 30 जुलाई को ZEE के प्रमोटर्स ने इनवेस्को ओपनहाइमर को 400 रुपए प्रति शेयर की दर से 4,224 करोड़ रुपए से कंपनी में 11% तक स्टेक बेचने का करार किया था। उस ट्रांजैक्शन में कंपनी के प्रमोटरों ने उसमें अपनी 8.7% हिस्सेदारी बेची थी। बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक कुछ फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) ब्लॉक डील्स में भाग लेने के लिए पहले से ही वादा कर चुके हैं।

विश्वसनीय सूत्र ने कहा, ‘ये डील्स लगभग पक्की हो चुकी हैं। ZEE के प्रमोटर्स ब्लॉक डील्स के जरिए कंपनी में 15.72% स्टेक बेचेंगे, वहीं बाकी शेयर ऑफ मार्केट ट्रांजैक्शन के जरिए बिकेंगे। प्रमोटर्स के पास कंपनी में 5% स्टेक बचा रहेगा और पुनीत गोयनका उसके एमडी और सीईओ बने रहेंगे।’ कंपनी के प्रमोटर सुभाष चंद्रा और उनके फैमिली ऑफिस को म्यूचुअल फंड्स और रूस के सरकारी सपोर्ट वाले बैंक VTB समेत कई डोमेस्टिक लेंडर्स को 7,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि चुकानी है।